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कर्मकाण्ड ग्रह यज्ञ

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कर्मकाण्ड ग्रह यज्ञ

कर्मकाण्ड प्रयोग -

(ⅰ) नित्यकर्म प्रयोग

(2) प्रातः जागरण का महत्व व

विधान

(3) संध्या विधान

(ⅰ) त्रिकाल संध्या प्रयोग

1. आचमन
 2.  मार्जन

3.विनियोग।

4.प्राणायाम का विनियोग संकल्प मंत्र व प्रयोग

5.अघमर्षण

- सूर्यार्घ्य विधि
-  सूर्यार्घ्य प्रकार
-
6.विभिन्न प्रकार के सूर्यार्घ्य
 प्रयोग

7. सूर्योपस्थान के प्रकार व प्रयोग 

   8. गायत्री जप विधान-:

(ⅰ) गायत्री के विभिन्न प्रयोग

(ii) वैदिक गायत्री के काम्य प्रयोग 

रोगनिवारण हेतु गायत्री प्रयोग सम्पूर्ण विधान

(V) पौराणिक गायत्री जप विधान 

(ⅴ) गायत्री शापनिमोचन प्रयोग-8 प्रकार 

(vi)गायत्री पुरश्चरण सम्पूर्ण  विधान

(vii) गायत्री पंचांग पूजन

(viii) गायत्री षोडशोपचार पूजन

(ix) गायत्री 32उपचार पूजन

(x) गायत्री आवाहन विधान -52 प्रकार

(xi) गायत्री उपस्थान-21 प्रकार 

 (xii)गायत्री ध्यान = 110 प्रकार
 
(xiii) तांत्रिक गायत्री विधान

(xiv) गायत्री शापविमोचन संपूर्ण विधान व प्रयोग

(xv) गायत्री विशेष पूजन व मुद्रा प्रयोग

(xvi) गायत्री तर्पण प्रयोग


(xvii) गायत्री कवच विधान

(xviii) गायत्री हृदय विधान व प्रयोग

(xix) गायत्री सहस्त्रनाम हवनात्मक विधान 

(xx) गायत्री सहस्त्रनाम  प्रत्येक श्लोक का विनियोग, न्यास, मुद्रा विधान
 
(xxi) विशिष्ट मालाओं द्वारा  गायत्री जप विधान 

(xxii)ऋगवेदोक्त गायत्री 

(xxiii)  सामवेदोक्त गायत्री

(xxiv) यजुर्वेदोक्त गायत्री 

(xxv) अथर्ववेदोक्त गायत्री


(xxvi) चतुर्वेदोक्त गायत्री सूक्त 

(xxvii) षड्‌काल संध्या विधान

(xxviii) श्री विद्योक्त संध्या

 -------->संध्या का वैज्ञानिक आधार 
---------->ग्रहों  और संध्या में सम्बन्ध व संध्या द्वारा ग्रहोपचार

4)अजपाजप - क्या, क्यों कैसे?

5)ब्रम्हयज्ञ विधि